अयोध्या।स्वर्ण निर्मित शिवलिंग स्थापना हेतु पवित्र आदिकैलाश का पवित्र जल पहुंचा रामादल मुख्यालय, जनकारी देते हुए रामादल अध्यक्ष पण्डित कल्कि राम ने बताया कि- वर्ष 2012से निरन्तर धार्मिक पदयात्रा कर रहे मेरठ निवासी नवीन शर्मा ने हिमालय से पदयात्रा करते हुए सोमवार को प्रातः रामादल परिसर स्थित सिद्ध यज्ञशाला पर पहुंचकर ताम्रपत्र के कलश में लाया गया पवित्र आदिकैलाश का जल समर्पित करते हुए बताया कि भगवती स्वप्नेश्वरी देवी की प्रेरणा से प्रेरित होकर महादेवजी के दिव्य स्वर्ण निर्मित शिवलिंग की निर्विघ्न स्थापना की कामना से यह पुनीत कार्य सम्पादित किया है।सबसे बड़ा आश्चर्य यह हुआ की इस सम्बन्ध में ऐसा कोई प्रयास रामादल परिवार की ओर किया ही नहीं गया था। भाद्रपद की गणेश चतुर्थी तिथि पर धर्म नगरी में स्वर्ण निर्मित शिवलिंग की स्थापना का संकल्प लेने के पश्चात से ही मन बहुत व्यथित था किन्तु सोमवार मौन व्रत में अचानक बिना किसी प्रयास के आदिकैलाश का पवित्र जल पहुंचने के बाद से अंतःकरण में एक दिव्य शक्ति के संचार की अनुभूति हो रही है विदित हो कि 14जनवरी 2014से चल रहे धार्मिक अनुष्ठान में प्रत्येक सोमवार को मौन रहकर किया जाता है महादेवजी का विशिष्ट जप अभिषेक पूजन कर्म, दैवीय प्रेरणा से पहुंचे आदिकैलाश के पवित्र जल को ग्रहण करते हुए पांच दिवसीय कलश पूजन सम्पन्न कर आज शरद पूर्णिमा के अभिजित मुहूर्त में पौराणिक महत्त्व के सिद्ध श्रीटेढ़ीयतिश्वर नाथ महादेवजी का वैदिक ब्राह्मणों के सानिध्य में रुद्राभिषेक कर आदिकैलाश से पहुंचे पवित्र कलश को स्थापित कर वर्ष 2024 लोकसभा चुनावों में नरेन्दर दामोदर दास मोदीजी के नेतृत्व में प्रचण्ड विजयश्री प्रदान करने की प्रार्थना करते हुए 151 दिवसीय गुप्त बगला ब्रह्मास्त्र महायज्ञ का श्रीगणेश किया गया। 3मई 2022 शुभ दिन मंगलवार अक्षय तृतीया के अभिजित मुहूर्त से उपवास रखकर नित्य अखिल ब्रह्माण्ड नायक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम लला सरकार के सम्मुख उपस्थित होकर मोदीजी के विजयश्री हेतु विशिष्ट जप अनुष्ठान भी चल रहा है।उल्लेखनीय है की एक ओर जहां बीते नौ वर्षों से प्रधानमंत्री मोदीजी के निर्मित धार्मिक आयोजन संचालित है तो वहीं दूसरी ओर 2022 चैत्र नवरात्रि महापर्व की चतुर्थी तिथि से उत्तर प्रदेश के ओजस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथजी के लिए भी 1100दिवसीय जप अनुष्ठान शुरू है जिसकी पूर्णाहुति 2025 में चैत्र नवरात्रि की चतुर्थी तिथि को सम्पन्न होगी। राष्ट्रहित में चल रहे धार्मिक आयोजन के लिए किसी से कोई सहयोग नहीं लिया गया है समस्त कार्यक्रम स्वयं के पूजा पाठ कर्मकांड से अर्जित होने वाली आय से ही सम्पादित किया जा रहा है।