अयोध्या-प्रदेश के प्राविधिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत कानपुर स्थित प्राविधिक शिक्षा निदेशालय द्वारा एक वृहद् वित्तीय अनियमितता का प्रकरण प्रकाश में आया है।जिसको लेकर प्राविधिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत मान्यता प्राप्त राजपत्रित संघ उत्तर प्रदेश एप्लाइड साइंसेज एवं मानविकी सेवा संघ के महामंत्री भोले नाथ प्रसाद ने प्रेसवार्ता की। प्रेसवार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि प्रदेश की समस्त राज राजकीय एवं सहायता प्राप्त पॉलिटेक्निक संस्थाओं के शिक्षकों एवं पदधारकों को दिनांक 03.05.2018 से लागू अन्य शैक्षणिक अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् के विनियम-2019 वेतनमान का लाभ दिए जाने की स्वीकृति उत्तर प्रदेश शासन द्वारा प्रदान की गई है परन्तु इस क्रम में पदधारी व्याख्याताओं/विभागाध्यक्षों/ प्रधानाचार्यों/पुस्तकालयाध्यक्षों/कर्मशाला अधीक्षकों आदि के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लागू सातवें वेतन आयोग के वेतनमान के सापेक्ष अभातशिप विनियम-2019 के अंतर्गत सातवें वेतन आयोग द्वारा देय संशोधित वेतनमान के सम्बन्ध में कोई भी अधिसूचना अभी तक जारी नहीं की गई है।उन्होंने माननीय मुख्यमंत्री,मंत्रिपरिषद और विधायक, सांसद से सवाल करते हुए यही कहा कि इतनी लोकप्रिय सरकार में जिस तरह से घोटाले विभाग में चल रहे हैं।इसको संज्ञान में लेकर उचित कार्रवाई करने की मांग की। बता दे कि माननीय उच्च नयायालय लखनऊ में दायर एक रिट याचिका के सम्बन्ध में 2021 में पारित निर्णय के अनुसार संशोधित पात्रता का पालन किये बिना छठे वेतन आयोग के अनुसार वेतन से सातवे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार संशोधित वेतनमान का लाभ दिए जाने का प्राविधान किया गया है।उन्होंने बताया कि सातवें वेतन आयोग की पर आधारित प्रदेश सरकार द्वारा लागू वेतन मैट्रिक्स और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर आधारित विनियम 2019 की वेतन मैट्रिक्स भिन्न है।सेवा नियमावली 1990 के अंतर्गत नियुक्त पदधारियों का समायोजन सातवे वेतन आयोग की सिफारिशों पर आधारित ए.आई.सी.टी.ई. विनियम 2019 की वेतन मैट्रिक्स में अभी तक नहीं किया गया है। न्यायालय को गुमराह करते हुए यह दर्शया गया है की पदधारी ए. आई. सी. टी. ई. विनियम 2010 के छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन आहरित कर रहा था जबकि सातवे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार संशोधित वेतनमान सभी पदधारी व्याख्याता / विभागाध्यक्ष / प्रधानाचार्य / पुस्तकालयाध्यक्ष / कर्मशाला अधीक्षक आदि वेतन आहरित किया जा रहा था।ए०आई०सी०टी०ई० स्पष्टीकरण के अनुसार जिस राज्य में पूर्व से ए० आई०सी०टी०ई० विनियम 2010 प्रभावी था उन समस्त राज्यों में ए०आई०सी०टी०ई० विनियम 2019 के अनुसार वेतनमान दिनांक 01.01.2016 और सेवा शर्ते राजपत्र अधिसूचना के दिनांक 01.03.2019 से प्रभावी होगा। परन्तु उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश प्राविधिक शिक्षा (अध्यापन) सेवानियमावली 2021 दिनांक 09.06.2021 से प्रभावी है जिसमे पदधारी के लिए कोई भी नियम अंकित नहीं है। सभी पदधारी व्याख्याता/विभागाध्यक्ष / प्रधानाचार्य / / कर्मशाला अधीक्षक आदि के लिए उत्तर प्रदेश शासन द्वारा ही निर्णय लिया जाना आपेक्षित है। किन्तु सभी निर्देशों/प्राविधानों का उल्लंघन करते हुए निदेशालय द्वारा एक कार्यकारी आदेश जारी किया गया जो कि न केवल त्रुटिपूर्ण है अपितु राजकीय कोष पर अब तक लगभग 250 करोड़ रुपये का व्ययभार डाल चुका है। इस सम्बन्ध में संघ द्वारा समस्त सम्बंधित विभागीय एवं शासकीय उच्चाधिकारियों के साथ साथ उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री को भी सूचना भेजते हुए अवगत करा दिया गया है।