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6 वर्षीय बच्चे ने रखा रोज़ा लोगों ने दी दुआएं

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अयोध्या। रमजान का महीना मुसलमानो के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है जिसमें 29 या 30 दिनों तक रोजे रखकर अल्लाह की इबादत की जाती है रमजान के मुकद्दस महीने में घर के छोटे बड़े बुजुर्ग और महिलाएं रोजा रखती हैं ऐसे में बड़ों को रोजा रखते देखकर मासूम बच्चे भी रोजा रखकर व खुदा की इबादत करते नजर आ रहे हैं। ऐसा ही एक नजारा ग्राम पंचायत भेलसर में देखने को मिला जहां मोहम्मद शाहिद का 6 वर्षीय पुत्र अब्दुल अहद ने रोजा रखकर अपने रब की इबादत की।रोज़ेदार बच्चे के दिल मे अल्लाह की इबादत का जज़्बा इस कदर देखने को मिला कि मासूम बच्चे ने इस वक्त पड़ रही गर्मी की परवाह न कर पुरा दिन बिना कुछ खाए पिए रमज़ान का रोज़ा रखकर अल्लाह की इबादत की। यह बच्चा भेलसर के मदरसा हिदायतुल उलूम में फर्स्ट क्लास में शिक्षा ग्रहण कर रहा है।बच्चे के माता पिता परिवार सहित मोहल्ले के लोगो ने बच्चे के रोज़ा रखने पर उसे दुआएं दी।
मदरसे के मौलाना मुजाहिदुल इस्लाम नदवी ने मासूम बच्चे के रोज़ा रखने पर खुशी का जताते हुए बच्चे के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए दुआएं दी। मौलाना मुजाहिदुल इस्लाम नदवी ने कहा कि रोज़ा इस्लाम का चौथा स्तंभ है। रोज़ा सब्र का महीना है रोजे में अल्लाह तमाम आमाल का शवाब बढ़ा देता है एक फ़र्ज़ का शवाब 70 फ़र्ज़ के बराबर अता करता है और नफ़्ल का शवाब फ़र्ज़ के बराबर अता करता है। रमज़ान में अल्लाह रोज़ाना दोज़ख से क़ैदियों को आज़ाद करता है और रोजदार की दुआ क़ुबूल फ़ार्माता है रोज़ा नेकियां कमाने का महीना है।उन्होंने कहा कि रोजदार के लिये समंदर की मछलियां भी दुआएं करती है। रोजे में गरीबों की मदद फितरा व ज़कात से करने का बहुत सवाब है।ज़कात फितरा कि रकम गरीबो व मिस्कीनों को दें ताकि वह लोग भी ईद की ख़ुशी सबके साथ मिलकर मना सकें। ( मोहम्माद आलम )

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