शायर सलाम जाफरी का जाना साझा संस्कृति की बड़ी क्षति है
1 min readअयोध्या । जनवादी लेखक संघ के सदस्य और मशहूर शायर सलाम जाफरी साहब के निधन पर जलेस की एक शोकसभा सरयू विहार कॉलोनी स्थित कार्यालय में सम्पन्न हुई। सभा की अध्यक्षता कर रहे सचिव डॉ. विशाल श्रीवास्तव ने कहा कि सलाम जाफरी साहब अवध की तहजीब के सच्चे प्रतिनिधि थे और उनके जाने से न समाज की उस पीढ़ी की क्षति हुई है जो साझा संस्कृति को बनाये रखने में यकीन रखती थी। वे बड़े शायर होते हुए भी अत्यंत सहज और सरल व्यक्तित्व के धनी थे और निरंतर नये शायरों और कवियों को प्रोत्साहित करते रहते थे। उन्होंने कहा कि जनवादी लेखक संघ में वे एक वरिष्ठ सदस्य के रूप में सक्रिय थे और उनके न रहने से संगठन भी छायाविहीन हो गया है। डॉ. श्रीवास्तव ने सलाम जाफरी साहब की याद में हर साल एक आयोजन किये जाने की ज़रूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वे अपने अंदाज़े बयाँ और कहन के मिज़ाज में एक अलहदा अदबी शख्यिसत के मालिक थे। वरिष्ठ शायर मुज़म्मिल फिदा ने उनके जीवन के बारे में तफसील से बताते हुए कहा कि वे फैज़ाबाद के उन चुनिन्दा शायरों में थे, जिनकी धमक देश-विदेश तक थी। उन्होंने लाल किले के मुशायरे से लेकर दुबई तक अपनी शायरी का लोहा मनवाया था। अपनी तबीयत में वे एक मस्तमौला किस्म के इंसान थे और शायरी करने के लिए उन्होंने प्रिंसिपल का पद तक छोड़ दिया था। मुजम्मिल फिदा के अनुसार सलाम साहब शायरी के अतिरिक्त समाजसेवा और शिक्षाजगत से जुड़ी गतिविधियों में भी निष्ठा के साथ संलग्न रहते थे। वे कई स्कूल-कॉलेजों से जुड़े रहे और उनकी कमेटी में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या मैनेजर थे। अमन कमेटी में उन्होंने उपाध्यक्ष रहते हुए कई बड़े काम किए। उन्होंने सलाम साहब के कलाम ‘‘ऐ जालिमों तुम्हारे मिटाने के बावजूद, मस्जिद नहीं रहीं कि शिवाले नहीं रहे, कल क्या था आज क्या है हाल तुम्हारा सलाम, शायद तुम्हारे चाहने वाले नहीं रहे।’’ के माध्यम से उन्हें याद किया। इस अवसर पर जलेस के सदस्य एवं शहीद भगत सिंह ट्रस्ट के चेयरमैन सत्यभान सिंह जनवादी ने कहा कि सलाम जाफरी साहब अवाम की शायरी करते थे, वे इतने खुशदिल और मिलनसार थे कि यकीन ही नहीं होता कि आज वे हमारे बीच मौजूद नहीं हैं। उन्होंने कहा कि संगठन सलाम साहब के आदर्शों पर निरंतर चलते रहने का प्रयास करेगा। युवा कवयित्री पूजा श्रीवास्तव ने बताया कि सलाम साहब लगातार अपने परामर्श के माध्यम से नये कवियों को प्रोत्साहित किया करते थे और कभी यह नहीं लगने देते थे कि वे इतने बड़े शायर हैं। अखिलेश सिंह ने कहा कि सलाम जाफरी साहब के अचानक जाने से शहर के अदबी माहौल में गहरा सन्नाटा छा गया है, यह एक ऐसी कमी है, जिसे पूरा करना लगभग नामुमकिन है।,अतीक अहमद नेकहा कि साहित्य जगत को खासतौर पर फ़ैज़बाद को बड़ी क्षति सालाम साहब के जाने से हुई है। इस मौके पर सलाम जाफरी साहब को अखिलेश सिंह,जयप्रकाश श्रीवास्तव,महावीर पाल,माले नेता अतीक अहमद,किसान नेता रामजी राम यादव,पूजा श्रीवास्तव,धीरज द्विवेदी आदि ने भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
मोहम्मद आलम