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रोजा एक-दूसरे के दुख-दर्द को समझने तथा मदद करने के लिए प्रेरित करता है: मुजाहिद उल इस्लाम

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अयोध्या।रमजान के तीसरे जुमा की नमाज शहर और आसपास के ग्रामीण इलाकों में अकीदत व एहतराम के साथ रमजान के तीसरे जुमा की नमाज शांतिपूर्ण ढंग से अदा की गई इस मौके पर अकीदतमंदों ने देश की अमन चैन और मुल्क की खुशहाली तरक्की व भाई चारा अमन शांति के लिए मांगी गई दुआएं। इस दौरान मस्जिदों में रोजेदारों की भीड़ उमड़ पड़ी।
मौलाना मुजाहिद उल इस्लाम नदवी ने बताया कि रमजान में दुनिया भर के मुसलमान पूरे महीने का रोजा रखते हैं। रोजा सिर्फ इबादत और अल्लाह को खुश करने का तरीका भर नहीं है, बल्कि यह इंसान को सही मायने में इंसानियत के ढांचे में ढाल देता है। रोजा एक-दूसरे के दुख-दर्द को समझने तथा मदद करने के लिए प्रेरित करता है। मौलाना ने कहा कि मुसलमानों को यह हुक्म दिया गया है कि यदि इस महीने में अपने माल की जकात गरीबों में दोगे तो गरीब का भी पेट भर जाएगा और वह भूखा नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि रमजान के आखिरी अशरे में एतेकाफ करना चाहिए। और यह 20 वें रोज की शाम मगरिब की नमाज के साथ शुरू होकर ईद का चांद देखकर खत्म होता है। हमारी कोशिश रहनी चाहिए कि हर मस्जिद में एतेकाफ हो। आखिर के दस दिनों में खूब तिलावते कलाम पाक और दुआ ए मगफिरत करनी चाहिए।(मोहम्मद आलम)

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