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बेशुमार, रहमतों, बरकतों व गुनाहों से माफी वाला महीना है रमज़ान

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अयोध्या। रमज़ानुल मुबारक के महीने को इस्लाम मे बहुत ही अजमत व मुकद्दस वाला महीना कहा कहा गया है जो बेशुमार रहमतों बरकतों गुनाहो से माफी वाला महीना कहा जाता है। इस महीने में अल्लाह तआला की इबादत करने और रोजा रखने से रोजेदारों पर रहमतों की बरसात होती है अल्लाह अपने बंदों के सारे गुनाह माफ कर देता है।
रमजान के 21 रोजे पूरे हो चुके हैं और 23 वां रोजा रखा गया है इस पाक महीने में इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग रोजा रखते हैं।रमजान का महीना 29 या 30 दिनों का होता है यह पूरी तरह से चांद के दिखने पर निर्भर होता है रोजा रखने के दौरान सुबह के वक्त से लेकर शाम तक रोजेदार बिना खाना-पानी के रहते हैं। सुबह के वक्त सहरी की जाती है वहीं शाम के वक्त इफ्तार किया जाता है इस पाक महीने में लोग अल्लाह पाक की रज़ा हासिल करने के लिए खूब इबादत करते हैं।
सुबह के वक्त सहरी के लिए उठने को मस्जिदों से ऐलान किया जाता है और लोग सहरी खाकर रोजे की नीयत करते हैं और फिर फज्र की नमाज अदा करने के लिए लोगों का हुजूम मस्जिद की तरफ चल देता है इसके बाद से ही रोजे की शुरुआत हो जाती है।फिर पूरा दिन बिना खाना-पानी के रहा जाता है रोजा रहने के दौरान लोग खुद को गलत कामों से दूर रखते हैं और ज्यादा ये ज्यादा वक्त अल्लाह की इबादत में लगाते हैं शाम के वक्त इफ्तार किया जाता है जिसके साथ एक रोजा पूरा होता है इफ्तार के बाद लोग मग़रिब की नमाज अदा करते हैं। रात के समय ईशा की नमाज भी अदा की जाती है जिसमें इसके अलावा तरावीह की नमाज भी पढ़ी जाती है इसमें कुरान शरीफ की तिलावत की जाती है।
रमजान के महीने में गरीबों की बढ़-चढ़कर मदद की जाती है इस महीने में लोग जकात और फितरा अदा करते हैं जिसे आसान भाषा में समझें तो जकात-फितरा अपने आय के हिस्से से ही कुछ हिस्सा निकाला जाता है और गरीबों में बांटा जाता है गरीबों की मदद करने के अलावा मस्जिदों और मदरसों में भी खूब दान किया जाता है रमजान के महीने में बाजार भी रौनक से भर उठते हैं लोग खरीददारी के लिए बाजारों का रुख करते हैं। रमजान का महीना पूरा होने के बाद लोग ईद का त्योहार मनाते हैं इसे मीठी ईद या इदुल्फित्र कहा जाता है इस दिन लोग सुबह के वक्त ईद की नमाज अदा करते हैं और एक-दूसरे के गले मिलकर उन्हें इदुल्फित्र की मुबारकबाद देते हैं।(मोहम्मद आलम)

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