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जिले की तहसील थानों व ब्लाकों की जमीनी हकीकत

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आसान नही है भूमि विवादों का शीघ्र निस्तारण

तहसीलों से लेकर थानों व ब्लाकों पर दलालों के माध्यम से कराना होता है कार्य

अयोध्या। जिले की तहसीलों में जमीनी विवाद को हल करवाने के लिए लोगों की पीढियां बदल जाती हैं लेकिन उसके बाद भी उसका कोई स्थायी निस्तारण थाना दिवस व तहसील में आयोजित समाधान दिवस से नहीं हो पता है थक हार कर लोगों को अदालत की सरड़ लेनी पड़ती है। लेकिन अदालत द्दारा जारी आदेश का पालन करवाने के लिए फिर पीड़ित को तहसील व थानों पर ही जाना होता है और वहीं से शुरू हो जाता है दलालों का खेल। जिले के आला अधिकारी जानते हैं कि लेखपाल से लेकर कानून गो और एसडीएम व तहसीलदार तक के पास कई निजी लोग खुलेआम लोगों का काम करते हैं। यही लोग पीड़ित के बीच सेतु बनकर अपना और साहब के परिवार को चलवाते हैं कोई कितना बड़ा हो या छोटा साहब के सामने बिना जुगाड़ या सिफारिश या सेटिंग किए व्यक्ति के बिना आने पर काम संभव नहीं होता है।मामूली सी पैमाइश या भूमि के विवाद को लेकर कई बार लोगों को थाना दिवस पर तहसील समाधान दिवस में दौड़ना पड़ता है लेकिन उसके बाद भी अधिकारी केवल हर बार आश्वासन और अखबार में खबर दे देकर काम चला लेते हैं।

अधिकारी पिछली बार थाना व समाधान दिवस मेंआई शिकायतों पर क्यों नहीं करते हैं पूछताछ

थानों व तहसीलों में अयोजित समाधान दिवस में आने वाले अधिकारी व प्रभारी शिकायतों व शिकायतकर्ताओं द्दारा दी गई पुरानी शिकायतों के रजिस्टर को अगर चेक करें कि उनके द्दारा पहले की गई शिकायत पर क्या कार्यवाही हुई है या ठंडे बस्ते रखी हुई है अगर अधिकारी ऐसा करें तो शायद कर्मचारियों में थोड़ी सी दहशत जरूर होगी।

,निजी मुंशी यानी ब्रोकर को अधिकारी क्यों नहीं हटाते

इस समय तहसीलों में लेखपाल से लेकर कानून गो तहसीलदार और एसडीएम कोर्ट पर निजी मुंशी बाकायदा बाबू बने बैठे हैं और इन्हीं के इशारे पर साहब भी अपनी कलम चलाते हैं। जबकि यह जानते हैं कि मुंशी बना व्यक्ति लोकल है और उसका किसी न किसी पक्ष की तरफ जरूर झुकाव होता है तहसीलों में पैमाइश और हथ बरारी में भी यही निजी लोग सेटिंग गेटिंग के आधार पर फेमस करते हुए गांव में तनाव पैदा करते हैं शायद ही कोई राजस्व अधिकारी ऐसा हो जिसके पास निजी मुंशी ना हो कइयों के पास तो कई मुंशी है जो बाकायदा लेखपाल व कानून गो का हस्ताक्षर भी बनाता है और तहसील के महत्वपूर्ण अभिलेख भी सुरक्षित नहीं होते हैं मजे की बात है कि अस्थाई कर्मचारियों को राजस्व के पर पत्रों के विषय में निजी लोगों से कम जानकारी होती है अगर किसी दिन तहसील में निजी मुंशी नहीं आया तो बाबूजी कोई कागज भी नहीं दे सकते हैं ना ही दिखा सकते हैं क्योंकि उन्हें खुद पता नहीं होता है डीएम नीतीश कुमार ने जिले में कमान संभालने के बाद एक बार फरमान जारी किया था कि निजी मुंशी हटाए जाएं लेकिन कुछ दिन के लिए हटे थे लेकिन वह भी देर शाम को पहुंचकर अपना काम करते थे फिर धीरे-धीरे डीएम का फरमान बेअसर साबित हुआ और सब कुछ पहले की ही तरह सामान हो गया।

तहसीलों में हर कार्य का रेट फिक्स है

अगर सही मायने में देखा जाए और किसी को राजस्व विभाग के बारे में पता करना हो तो कोई शिकायती पत्र देकर देख ले कि उसके शिकायती पत्र पर क्या कार्यवाही होती है तहसीलों में हद बरारी में सरकारी फीस जमा करने के बाद भी बिना किसी मुंशी से भेंट किए साहब फीता भी नहीं उठाते हैं वही कब जाएंगे इसके लिए भी समय लेना होता है। इसी तरह पैमाइश में किसी प्रकार की रिपोर्ट लगाना ,अपना बयान लिखवाना आज तमाम कार्यों को करवाने के लिए अगर अधिवक्ता न हो तो आप सीधे नहीं करवा सकते हैं एसडीएम तहसीलदार आदि कोर्ट से आर्डर होने के महीनों बाद तक उसकी अमल दरामद नहीं होती है जिले के सभी तहसीलों में इस समय मनमानी चल रही है अधिकारी भी केवल खाना पूर्ति करके चल देते हैं।

पुलिस विभाग में थानों पर काफी समय से जमे सिपाही ही चलाते थाना

जिले में कई ऐसे थाने हैं जहां पुलिस विभाग में काफी समय से जमे कुछ सिपाहियों का ही सिक्का उनके इशारे पर ही चलता है।जिससे अन्य सिपाहियों में भी कुंढा होती है लेकिन वह अपने साहब के चक्कर में वह कुछ नहीं बोल सकते हैं। आप किसी भी थाने में देख ले पिछले साहब का करीबी कौन सिपाही था और बदले पर कौन सिपाही आ गया है सही तरह हर बार साहब के लिए काम करने वाले लोगों का चेहरा बदलता रहता है अधिकारी भी चाह कर सही और समय से कार्य नहीं कर सकता है सिपाही भी जिधर से खास होता है उधर की ही बात प्रमुखता से रखते हुए अपना उल्लू सीधा करता है। जिले के कई ऐसे थाने हैं जहां पर सालों से सिपाही दबंगई काटे हुए हैं और बिना उनके इशारे पर काम करवाना संभव नहीं है कहीं-कहीं तो निर्माण करवाने, अवैध खनन करवाने, पेड़ कटवाने से लेकर तमाम कार्यों के लिए ठेका लिया जाता है। पीड़ित चिल्लाता रहता है लेकिन उसकी सुनवाई नहीं होती है।

विकास खंडों में कार्य करवाने के लिए भी सेट रहते हैं दलाल

जिले के विकास खंडों में विकास खण्ड अधिकारी, ग्राम पंचायत अधिकारी,एडियो पंचायत के ऑफिस में विधवा पेंशन, प्रधानमंत्री आवास,परिवार रजिस्टर की नकल व सरकार द्दारा जारी की आम जनता के हित के लिए जनकल्याण करी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए ब्लाकों में मौजूद रहते हैं दलाल।बिना दलालों को सेटिंग किए नहीं मिलता है किसी योजना का लाभ।

काम नहीं करने वालों पर हो कार्यवाही और जिम्मेदारों को समय सीमा बांधना होगा

शासन प्रशासन को काम नहीं करने वालों पर करनी होगी कड़ी कार्यवाही और जिम्मेदारों को समय सीमा में बांधना होगा अगर अधिकारी व कर्मचारियों को समय सीमा में बांध दिया जाए कि इतने दिन में यह कार्य करना है अगर कार्य नहीं किया तो किस कारण से नहीं किया और अगर म किया तो उसका कारण दोनों की रिपोर्ट सामने आए तो काफी सुधार आ सकता है और तहसीलों को निजी मुंशीयों से मुक्त करवाने का फायदा लोगों को मिलेगा।

मोहम्माद आलम

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